मनुष्य को अपने आप को निर्मल और उदात्त बनाना चाहिए।
2.
जब कि नैतिक मूल्यों का वास्तविक उद्देश्य मानव जीवन को पतन के मार्ग से दूर रखते हुए उसे उदात्त बनाना है।
3.
यह आश्चर्य की बात नहीं है, के बाद से अंगूठी और ही नहीं सुशोभित किसी भी हाथ को उदात्त बनाना कर सकते हैं, लेकिन यह भी अपनी भव्यता और सुंदरता पर जोर दिया.
4.
धन की कामना है तो आचरण ऊँचा करिए, स्वर्ग की वांछा है तो भी चरित्र को देवोपम बनाइए और यदि आत्मा, परमात्मा अथवा मोक्ष मुक्ति की जिज्ञासा है तो भी चरित्र को आदर्श एवं उदात्त बनाना होगा।